आचार्य श्रीराम शर्मा >> अन्त्याक्षरी पद्य-संग्रह अन्त्याक्षरी पद्य-संग्रहश्रीराम शर्मा आचार्य
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जीवन मूल्यों को स्थापित करने के लिए अन्त्याक्षरी पद्य-संग्रह
(फ)
फिर अपने गाँवों को हम स्वर्ग बनायेंगे।
अपने अन्दर सोया देवत्व जगायेंगे।।
फिर प्रेरणा नई ले, ये वसन्त आ गया है।
अवसाद पाप दुख का, बस अन्त आ गया है।।
फिर सतयुग आ जाये नया वह यज्ञ रचायें।
है ऋषि का संदेश उसे घर-घर पहुंचायें॥
फिर से संस्कार-परिपाटी घर-घर जाये मनाई।
युग ऋषि ने उज्ज्वल भविष्य की, ज्योति अखण्ड जलाई॥
फूलों की शय्या को तजकर, जो काँटों का पथ अपनाता।
वह मानव ही इस वसुधा पर नर से नारायण बन जाता॥
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